Saturday, 1 August 2020

मंजुमन

मंजुमन
(Story Of two beautiful people)
     किरदार
मंजुल
अंजुमन
दीपेश
विपुल

कहानी की शुरुआत एक ऐसी लड़की से शुरू होती है जिसकी नटखट हरकतों से पूरा घर चहकता था ।जिसका नाम था मंजुल सबकी लाडली प्यार से सब उसे सोनू बुलाते थे अपने मां बाप की अकेली बेटी लाडली बेटी , बचपन से हर बात को बेबाकी से बोलना अपनी शर्त पर जीना ही उसकी असली जिंदगी थी । वह अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीना तो चाहती थी लेकिन किसीको तकलीफ देना उसके व्यवहार में शामिल नहीं था।खुद खुश रहना और सबको खुश रखना यही उसकी जिंदगी की टैग लाइन थी ।
       पड़ने में उसकी रुचि बहुत थी ,किताबों से उसकी गहरी दोस्ती थी। अपने स्कूल में भी सबकी चहेती थी।उसकी सोच अपने परिवार की सोच से समाज की सोच से बहुत अलग थी वह परंपराओं में बंधकर जीना नहीं चाहती थी ,उसे जिंदगी को खुले हाथों से आजादी से जीना था। पर कहते हैं ना जिंदगी की स्टोरी कब क्या मोड़ लेले कोई नहीं जानता । मंजुल की जिंदगी मैं ऐसे मोड़ आए एक नहीं कई बार आए, और हर मोड़ पर वो गिरी संभली फिर चली ,खुद को खोया फिर पाया , टूटी बिखरी और हिम्मत से फिर जुड़ी ।।
          आइए थोड़ा शुरुआत से मंजुल की जिंदगी को जानने की कोशिश करते हैं ,हर लड़की उसमें खुद को महसूस करेगी ऐसा लगेगा जैसा कोई उसकी ही बात कर रहा है।

Monday, 21 October 2019

मंजुल

तुषार -मंडल से घिरी धरती।
है सूर्य किरण के इंतजार में।।
है अस्तित्व की खोज धरा को।
है उन्मुक्त मंजुल क्षितिज के इंतजार में।।

ओझल अस्तित्व

            (ओझल अस्तित्व)
आज आइने में देखकर अक्स अपना।
हमने ये सवाल किया।।
क्या मैं वही अल्हड़-निश्छल-सुकोमल।
सी उन्मुक्त सी फिरने वाली ।।
था देवांगना सा स्वरूप जिसका।
अपने कर्त्तव्य और शर्तों पर जीने वाली।।
 है जिजीविषा से भरी हुई।
नित्य नए स्वपन बुनने वाली।।
विलक्षण प्रतिभा की धनी मैं।
हर हृदय प्रफुल्लित करने वाली।।
क्या मैं वही- अल्हड़ - निश्छल ..........
अपने ही प्रतिबिंब में आज खुदको।
खोजने क्यूं निकल पड़ी ।।
व्यथित मन है पूछ रहा।
क्यों रिक्तता से भरा है खुदको।।
ढूंढ उस अदम्य साहस को।
है तुझमें जो भरा हुआ।।
अब तक जितना भी खोया खुदको।
अब अंत कर इस त्याग प्रथा का।।
हे! मंजुल अब बहुत हुआ।
विवश नहीं तू किसी कर्तव्य बोध से।
जग- रचना तू ही करने वाली।।
है इंतजार में तेरे क्षितिज ।
है क्षमताओं का अंबार तुझमें 
तू पूर्ण को सम्पूर्ण करने वाली।।